tag:blogger.com,1999:blog-1649535550728048239.post8523261321288439498..comments2023-07-29T08:11:10.910-07:00Comments on Hello Himalaya: केदारनाथ, यानी मुहावरा मौत का, दर्द का....अफसोस का L P Panthttp://www.blogger.com/profile/05753606145632507474noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-1649535550728048239.post-61176797914872799412020-04-26T23:30:17.729-07:002020-04-26T23:30:17.729-07:00Thanks for sharing, nice post! Post really provice...Thanks for sharing, nice post! Post really provice useful information!<br /><br />Giaonhan247 chuyên dịch vụ <a href="https://images.google.mw/url?q=https://giaonhan247.vn/bang-gia-cuoc-ship-van-chuyen-gui-hang-tu-viet-nam-di-my-gia-re.html" rel="nofollow">vận chuyển hàng đi mỹ</a> cũng như dịch vụ <a href="http://www.google.com.ag/url?q=https://giaonhan247.vn/ship-hang-my.html" rel="nofollow">ship hàng mỹ</a> từ dịch vụ nhận mua hộ hàng mỹ từ trang <a href="http://www.google.co.cr/url?q=https://giaonhan247.vn/mua-hang-tren-ebay.html" rel="nofollow">ebay vn</a> cùng với dịch vụ <a href="http://www.google.sc/url?q=https://giaonhan247.vn/cach-mua-hang-tren-amazon.html" rel="nofollow">mua hàng amazon</a> về VN uy tín, giá rẻ.giaonhanquoctehttps://www.blogger.com/profile/12812704096790536163noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1649535550728048239.post-37484276589467767892019-09-15T07:51:26.756-07:002019-09-15T07:51:26.756-07:00सर प्रणाम। मैनें लेख पढ़ा। सर,लोगों के बार-बार के इ...सर प्रणाम। मैनें लेख पढ़ा। सर,लोगों के बार-बार के इतने सवालों के बावजूद आपने जिस धैर्यता से अपनी लेखनी चलाई, शायद ही कोई इतना संयम रख सके। आप नम्रता का स्वरूप हैं।🙏Rakesh Singhhttps://www.blogger.com/profile/08320786901823697661noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1649535550728048239.post-39729968429312005362013-11-13T06:22:37.755-08:002013-11-13T06:22:37.755-08:00हम तो भूल ही चुके थे .
याद दिलाने के लिए धन्यवाद स...हम तो भूल ही चुके थे .<br />याद दिलाने के लिए धन्यवाद साथ ही आपने जो मर्यादित आक्रोश का वर्णन शब्दों में पिरो कर किया है . कबीले तारीफ है . इस तरह के लेख में अक्सरहा लेखक उग्र हो जाया करते हैं मगर आपने बहुत संयम और सावधानी से शब्दों का चयन किया है .मुकेश पंजियारnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1649535550728048239.post-22822412125182791952013-11-13T01:17:42.799-08:002013-11-13T01:17:42.799-08:00मैं जब भी इस चुनावी परिदृश्य को देखता हूं , तो मुझ...मैं जब भी इस चुनावी परिदृश्य को देखता हूं , तो मुझे समझ नहीं आता कि आज बरसों पहले का इतिहास भूगोल टोटलते हमारे राजनीतिज्ञ सिर्फ़ चंद महीनों पहले हुए इतने बडे हादसे , जांच रिपोर्ट के बाद इसे आमंत्रित आपदा ही कहा जाए तो बेहतर होगा , के लिए न तो अब तक कोई जिम्मेदार ठहराया गया , और हमेशा की तरह न ही हमने कोई बडा सबक लिया । सरकार प्रशासन तो इसे ऐसे भूल बैठे , मानो ऐसा कुछ कभी घटा ही नहीं था , सो रहा हूं कि चुनाव से पहले उत्तराखंड क्या सोच रहा होगा ..................अजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1649535550728048239.post-52151964843049833912013-11-13T01:17:40.866-08:002013-11-13T01:17:40.866-08:00मैं जब भी इस चुनावी परिदृश्य को देखता हूं , तो मुझ...मैं जब भी इस चुनावी परिदृश्य को देखता हूं , तो मुझे समझ नहीं आता कि आज बरसों पहले का इतिहास भूगोल टोटलते हमारे राजनीतिज्ञ सिर्फ़ चंद महीनों पहले हुए इतने बडे हादसे , जांच रिपोर्ट के बाद इसे आमंत्रित आपदा ही कहा जाए तो बेहतर होगा , के लिए न तो अब तक कोई जिम्मेदार ठहराया गया , और हमेशा की तरह न ही हमने कोई बडा सबक लिया । सरकार प्रशासन तो इसे ऐसे भूल बैठे , मानो ऐसा कुछ कभी घटा ही नहीं था , सो रहा हूं कि चुनाव से पहले उत्तराखंड क्या सोच रहा होगा ..................अजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1649535550728048239.post-29662357661604085562013-11-12T22:19:45.091-08:002013-11-12T22:19:45.091-08:00लगता भूलों में ही यह, उम्र गुज़र जायेगी !
हिमालय क...लगता भूलों में ही यह, उम्र गुज़र जायेगी !<br />हिमालय को समझते, उम्र गुज़र जायेगी ! <br /><br />आज सब दब गए , इस दर्द के, पहाड़ तले<br />अब तो लगता है,रोते, उम्र गुज़र जायेगी !<br /><br />किसको मालूम था,उस रात उफनती, वह <br />नदीं, देखते देखते ऊपर से, गुज़र जायेगी !<br /><br />कैसे मिल पाएंगे ?जो लोग,खो गए घर से,<br />मां को,समझाने में ही,उम्र गुज़र जायेंगी !<br /><br />बहुत गुमान था,नदियों को बांधते, मानव <br />केदार ऐ खौफ में ही, उम्र, गुज़र जायेगी !- सतीश सक्सेना<br />satish-saxena.blogspot.com Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.com