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शहरों में शोरगुल के माहौल से परेशानी सिर्फ मनुष्यों को ही नहीं बल्कि चिड़ियों को भी होती है.
एक नए अध्ययन के अनुसार शोरगुल से परेशान एक ख़ास प्रजाति के चिड़ियों ने अपने गाने का तरीका बदल लिया है.
चिड़िया ने गाने का सुर इसलिए नहीं बदला कि शहरी लोग उसे पसंद करें और ख़ुश हों, चिड़िया के लिए यह ख़ानदान आगे चलाने का मामला है.
होता यह है कि शहरों के शोर गुल में नर पक्षी की पुकार मादा तक नहीं पहुँच पाती, ऐसे में आप ही सोचिए उनका परिवार कैसे आगे बढ़ेगा.
यह समस्या शहर में रहने वाली कई चिड़ियों के साथ आती है लेकिन हल पहली बार खोजा है ग्रेट टिट्स नाम की चिड़िया ने.
शहरों के व्यस्त इलाक़ों में इस प्रजाति के नर पक्षियों ने अपने गाने के स्वर की फ़्रीक्वेंसी बढ़ा ली है. इस तरह गाते समय उनके स्वर की फ़्रीक्वेंसी कारों, विमानों या मशीनों की फ़्रीक्वेंसी से ज़्यादा रहती है.
इस तरह मादा चिड़िया तक आवाज़ पहुँच पाती है और उनके घोंसले में हर साल छोटे बच्चे आते रहते हैं.
यूरोप के कई शहरों में पाई जाने वाली इस चिड़िया ने अपने रुख़ में लचीलापन दिखाया है लेकिन वैज्ञानिकों को आशंका है कि अगर दूसरी शहरी चिड़ियों ने ऐसे ही तरीक़े नहीं अपनाए तो वे धीरे-धीरे ख़त्म हो सकती हैं.
यह पहला मौक़ा है जब किसी पक्षी ने शोरगुल से पैदा होने वाली समस्या को हल करने का सबूत दिया है.
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