रविवार, 11 सितंबर 2011

कुदरत की नायाब इंजीनियरिंग










ये है मेघालय का चेरापूंजी। दुनिया में सबसे अधिक वर्षा वाले स्थानों मे से एक। यहां कुदरत पानी बनकर रास्ता रोकती भी है तो खुद ही पुल बनकर उसे पार भी करा देती है। चेरापूंजी के सघन वन क्षेत्रों में नदियों को पार करने के लिए ऐसे ही पुल बने हुए हैं। इन्हें सीमेंट या कंक्रीट से नहीं बल्कि पेड़ों की जड़ों और लताओं को मिलाकर बनाया गया है। नदी के किनारे उगे पेड़ों की टहनियों और जड़ों को लोग दूसरे किनारे तक बांध देते हैं। धीरे-धीरे बढ़ते हुए ये मजबूत पुल जैसा रूप ले लेते हैं। ये इतने मजबूत हैं कि एक बार में 50 लोग को एक साथ नदी पार करा सकते हैं। हालांकि, इन्हें पूरी तरह पनपने में 15 से 20 साल लग जाते हैं। सीमेंट और कंक्रीट का पुल समय के साथ जहां कमजोर हो जाता है, वहीं यह पहले से ज्यादा मजबूत होते जाते हैं। खास बात यह भी है कि ये पत्थरों की तरह निर्जीव नहीं हैं। यह कुदरत की इंजीनियरिंग है।

4 टिप्‍पणियां:

vandana khanna ने कहा…

यहां कुदरत पानी बनकर रास्ता रोकती भी है तो खुद ही पुल बनकर उसे पार भी करा देती है। bahut khoobsorat photos or shabad bhi

बेनामी ने कहा…

maz aa gya

amit rawat

कमल किशोर जैन ने कहा…

कमाल फोटोज है,

Triund Trek ने कहा…

Triund Trek Dharamshala, Triund Triund Trek in August and Triund Trek in September and Triund Weather and Triund Temperature and Triund Trek booking and Triund Trek booking the trek to the most attractive destination of Dharamshala is a pure retreat that can be enjoyed on weekends. It gives astonishing views of the Dhauladhar mountain range. The campsite is situated atop the hill overlooking the Kangra Valley. The trek will start from the majestic town of McLeodganj Triund Trek and Camping in Bhimtal Trek Himachal Pradesh Dharamkot Gallu Devi and Triund Trek and Camping in Nainital and Hotels in Dharamshala and Camping in Pangot and Camping in Mukteshwar and Triund Trek and Triund Trek and Camping in Pangot and Kheerganga Trek