सोमवार, 6 सितंबर 2010

सुनहरे रेत से मनोरम हरियाली

राजस्थान का दूसरा नाम मरूप्रदेश है। सुनते ही जेहन में तस्वीर उभरती है सुनहरी रेत, टीबे, बावडिय़ां और शुष्क मरूधरा। लेकिन अब यह सोच बदलने का वक्तहै। राजस्थान में इस बार मानसून खूब मेहरबान रहा और सावन का औसत कोई दिन ऐसा नहीं रहा जब थोड़ी या ज्यादा बारिश न हुई हो। इन बौछारों से जयगढ़, आमेर, नाहरगढ़ आदि क्षेत्रों की पहाड़ी पर हरियाली की जो छटा बिखरी, उसने प्रदेश की पहचान ही बदल दी। प्रकृति ने झूम के अंगड़ाई ली और पूरे पहाड़ हरे-भरे, शीतल और दिल को छू लेने वाली रूमानियत से भर गए। आलम यह है कि किसी को बिना बताए, आंख पर पट्टी बांधकर यहां लाया जाए तो वह बता नहीं पाएगा कि यह राजस्थान है या ऊटी, मंसूरी या कोई दूसरा हिल स्टेशन। झीलों की नगरी उदयपुर में भी इस बार प्रकृति के रंग देखने लायक हैं। लबालब भरे ताल, झलकने को बेताब हैं और हरियाली की चादर जो दिलकश सीनरी बनती है, उसका क्या कहना।
सचमुच ये वो दृश्य हैं जिन्हें देखने, महसूस करने के लिए मुझ पहाड़ी को लंबी यात्रा कर अपने गृहनगर या दूसरे हिल स्टेशन जाना पड़ता। मेरे लिए रेतीले धोरों में हरियाली से लदी  अरावली पहाड़ी श्रृंखला को देखना किसी चमत्कार से कम नहीं है। पता नहीं इस रेगिस्तान में यह नैसर्गिक सुंदरता
कितने समय तक रहेगी लेकिन अगर इतना खुशगवार मौका मिला है तो क्यों न इसे जीकर थोड़ा रूमानी हो लिया जाए। फिलहाल मजा लीजिए रेगिस्तान के मायने बदलने वाली इन तस्वीरों का।

3 टिप्‍पणियां:

rahul ने कहा…

wah.maza aa gya.

vandana khanna ने कहा…

aapke dher sare adhure, adkhule or kuch an-khae blog dekhne k bad hum is blog tak aakhirkar pahunch he gaye. hello himalya me is rang k registan yani jaipur ko pehli bar dekha. bahut pyari photos hain pant sir, khair hume aapki exibition wali photos ka intjar hai.or unke caption ya u kahe k dard me doobi kuch kavitaye he padwa de is blog par.
shukriya...

Unknown ने कहा…

Lekin na jane kitne registan hai jo pani ke intjar me hai, shayad hai bhi nahi. Kuch bunden inpe bhi meharban ho jaye to bat bane.