शनिवार, 1 मई 2010

बदल जाएगा एवरेस्ट का इतिहास



दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को क्या तेनजिंग नोर्गे और एडमंड हिलेरी से पहले भी किसी ने फतेह कर लिया था यह सवाल आज भी रहस्य बना हुआ है। लेकिन हो सकता है 2011 में इस रहस्य से पर्दा उठ जाए। अमेरिकी एवरेस्ट रिसर्चर टॉम हॉलज़ेल इस काम को अमलीजामा पहनाने की तैयारी कर रहे हैं। इस काम के लिए वे बाकायदा फंड भी इकट्ठा करने में लगे हैं।
कुछ जानकारों का कहना है कि 8 जून 1924 को 38 वर्षीय जॉर्ज मेलोरी और 22 वर्षीय एंड्र्यू इरविन ने धरती की इस सबसे ऊंची चोटी को फतह कर लिया था। उस दिन मेलोरी और इरविन ने 26000 फीट (8138 मीटर) की ऊंचाई पर स्थित अपना कैंप छोड़ दिया। बकौल नोएल ओडेल “वे अपनी फतह को लेकर काफी आशान्वित थे लेकिन वे उसके बाद कभी दिखाई नहीं दिए।“ नोएल उस पर्वतारोही दल का हिस्सा थे।
साल 1999 में एवरेस्ट की उत्तरी ढलान पर जॉर्ज मेलोरी का शव खोज लिया गया। कोनार्ड एंकेर और उनके खोजी दल, जो खास तौर पर मेलोरी और इरविन के शवों और उनके साजो-सामान की खोज के लिए बना था, ने एक बड़ी सफलता पाई थी। पड़ताल में मेलोरी के शव के साथ पत्रों का पुलिंदा, कलाई घड़ी, खाने का सामान, पॉकेट नाइफ और गॉगल्स मिले। लेकिन एक खास चीज जो एवरेस्ट के इस सबसे बड़े राज से पर्दा उठा सकती थी वो नहीं मिली, यानी मेलोरी का पॉकेट कोडेक कैमरा इस खोजी दल को नहीं मिल सका। ये भी माना जा रहा है कि उस वक्त शायद वह कैमरा मेलोरी के पास न होकर उनके जूनियर साथी एंड्रयू इरविन के पास रहा हो। गौरतलब है कि इरविन का शव आज तक नहीं मिल सका है।
लेकिन अब इरविन का शव मिलने की आशा बलवती हो रही है क्योंकि अमेरिकी एवरेस्ट रिसर्चर हॉलज़ेल का मानना है कि हाई रेजोल्यूशन एरियल फोटोग्राफी के जरिए उनकी टीम ने इरविन के शव को खोज लिया है। हॉलजेल और उनके पांच अन्य साथियों की द एंड्रयू इरविन सर्च कमेटी ने इरविन के शव को 27641 फीट (8425 मीटर) की ऊंचाई पर लोकेट कर लिया है। अब वे अगले साल यानी 2011 में एक खोजी अभियान चलाने वाले हैं जिसमें उन्हें इरविन का शव और वह कोडेक कैमरा मिलने की पूरी उम्मीद है।
पर्वतारोहियों का मानना है कि कैमरा बर्फ में दफन एवरेस्ट के खोल देगा। दरअसल,1924 में जॉर्ज मेलोरी और इरविन ईस्टमैन कोडेक कैमरा लेकर गए थे। इस कैमरे से खींची गई तस्वीरें ही इस बात का खुलासा कर सकती हैं कि क्या उन दोनों ने एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचने में सफलता पा ली थी। हालांकि यह कैमरा अब तक किसी को नहीं मिला है, लेकिन कोडेक के विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर कैमरा क्षतिग्रस्त नहीं हुआ होगा तो आज भी उसकी फिल्म से प्रिंट लिए जा सकते हैं चाहे घटना को 9 दशक पूरे होने जा रहे हों।

1 टिप्पणी:

alka ने कहा…

agar aisa hua to ye ithaas me bada ulat phar hoga............
well done ji......