हिमाचल प्रदेश के मलाना इलाके में एक निजी ऊर्जा कंपनी ने सैकड़ों पेड़ काट डाले और ११५ बीघा जमीन पर फैली हरियाली को नष्ट कर दिया। कंपनी ने इस इलाके में उगी बेशकीमती जड़ी-बूटियों को मलबे के नीचे दबाकर नष्ट कर दिया। यही नहीं कंपनी ने ऐसा करने से पहले केंद्रीय न तॊ वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को इसकी सूचना दी न ही किसी प्रकार का कॊई मुआवजा ही दिया। अब सरकार भी कुछ करॊड रुपए जुर्माना करके ११५ बीघे में फैले जंगल कॊ नष्ट करने का लाइसेंस दे दिया है।
अब इसकी सुधा हिमाचल प्रदेश से कांग्रेस की राज्यसभा सदस्य विप्लव ठाकुर ने लिया है। उन्हॊंने वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से सवाल किया है कि क्या इस कंपनी के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई या जांच की गई है। अगर ऐसा किया गया है तो जिम्मेदार कंपनी अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है। ठाकुर के सवाल के जवाब में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने मामले को सही बताया लेकिन ये भी कहा है कि पेड़ काटे नहीं गए हैं हालांकि उन्हें नुकसान जरूर पहुंचा है। मलाना-द्वितीय हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट के दौरान केल दो पेड़ अवैध तरीके से एवरेस्ट पावर प्राइवेट लिमिटेड ने गिराए थे। मलाना के जिस इलाके को कंपनी के कामकाज के दौरान नुकसान पहुंचा है वह ११५ बीघा न होकर मात्र १५ बीघा ही है।
सड़क बनाने के दौरान जो मलबा डाला गया उसके लिए मंत्रालय से परमिशन ली गई थी और वह स्थान भी केंद्रीय मंत्रालय ने ही सुझाया था। रमेश ने यह भी कहा कि जिस जगह मलबा डाला गया वहां किसी तरह की कोई जड़ी-बूटियां न होकर केवल घास ही थी। गिराए गए पेड़ों के एवज में डेमेज बिल जारी किए गए हैं। वन एवं पर्यावरण मंत्री ने यह भी बताया कि इस मामले में जांच भी कराई गई थी और मंत्रालय के निर्देशों के खिलाफ किए गए कामों के लिए इस कंपनी पर जुर्माना भी लगाया गया है। कंपनी को जारी किए गए बिलों के एवज में मैसर्स एवरेस्ट पावर प्राइवेट लिमिटेड ने १,१८,४६,८६६ रुपये जुर्माना दिया है।
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1 हफ़्ते पहले
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